Isa (Jesus) came with evident signs
[az-Zukhruf, 43:63]
وَ لَمَّا جَآءَ عِیۡسٰی بِالۡبَیِّنٰتِ قَالَ قَدۡ جِئۡتُکُمۡ بِالۡحِکۡمَۃِ وَ لِاُبَیِّنَ لَکُمۡ بَعۡضَ الَّذِیۡ تَخۡتَلِفُوۡنَ فِیۡہِ ۚ فَاتَّقُوا اللّٰہَ وَ اَطِیۡعُوۡنِ
﴿۶۳﴾
And when ‘Isa (Jesus) came with evident signs, he said: ‘Surely, I have come to you with wisdom and understanding, and (with the purpose) that I may make clear to you some of the matters on which you disagree. So fear Allah and obey me.
और जब ईसा (अ़लैहिस्सलाम) वाज़ेह निशानियां लेकर आए तो उन्होंने कहा: यक़ीनन मैं तुम्हारे पास हिक्मतो दानाई लेकर आया हूं और (इसलिए आया हूं) कि बा’ज़ बातें जिनमें तुम इख़्तिलाफ कर रहे हो तुम्हारे लिए ख़ूब वाज़ेह कर दूं, सो तुम अल्लाह से डरो और मेरी इताअ़त करो।
[az-Zukhruf, 43:64]
اِنَّ اللّٰہَ ہُوَ رَبِّیۡ وَ رَبُّکُمۡ فَاعۡبُدُوۡہُ ؕ ہٰذَا صِرَاطٌ مُّسۡتَقِیۡمٌ
﴿۶۴﴾
Surely, Allah is the One Who is your Lord and my Lord (as well). So worship Him alone. That is the only straight path.’
बेशक अल्लाह ही मेरा (भी) रब है और तुम्हारा (भी) रब है, पस उसी की इबादत करो। येही सीधा रास्ता है।
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