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गौसुल आलम करम कीजिए

गौसुल आलम करम कीजिए
मखदूम अशरफ करम कीजिए 
दूर हम सब का गम कीजिए
मखदूम अशरफ किजिए 
देता हु वास्ता में तुम्हारे ही आल का
सदका अता हो फातिमा जहरा के लाल का
आज अपनी इल्तिजा का भरम चाहता हु में
बस आपकी निगाहें करम चाहता हु में
तुम हो नबी की आल ओ जाने बतुल हो
ऐ शाहे सिमना अर्ज हमारी कुबूल हो
दौलत की तलब है ना तमन्ना ए माल है
हर अशरफी के लब पे यही इक सवाल है
अशरफ हमारे दिल की ये हसरत निकल दो
दुखियों पे एक निगाह मोहब्बत की डाल दो
बिगड़ी बना दो आज हर एक बदनसीब की
अशरफ तुम्हारे हाथ ही इज्जत गरीब की
रौशन हे जिनके दम से कीछौछा की सरजमी
गुम्बद हरा भरा है और रोज़ा हे दिलनशी
वो रौशनी खुदा की कसम चाहिए हमे
हम तालिबे करम है करम चाहिए हमे