Follow us!

Disclaimer:

Get in touch with us

Artikel wurde hinzugefügt

Erhalten Sie 20 % Rabatt!arrow_drop_up

जब तुम ज़िल ह़ज्ज (बक़्र ई़द) का चॉंद देखो और तुम में कोई क़ुरबानी का इरादा रखता हो तो वोह अपने बाल मुंडाने (तरशवाने) और नाखुन कटवाने से रुका रहे ।

  • person Yasin Popatia
  • calendar_today
  • comment {0 Kommentare
जब तुम ज़िल ह़ज्ज (बक़्र ई़द) का चॉंद देखो और तुम में कोई क़ुरबानी का इरादा रखता हो तो वोह अपने बाल मुंडाने (तरशवाने) और नाखुन कटवाने से रुका रहे ।
जब तुम ज़िल ह़ज्ज (बक़्र ई़द) का चॉंद देखो और तुम में कोई क़ुरबानी का इरादा रखता हो तो वोह अपने बाल मुंडाने (तरशवाने) और नाखुन कटवाने से रुका रहे ।
याद रहे! येह ह़ुक्म इस्तेह़बाबी है, या'नी कोई अ़मल करे तो बेहतर है और न करे तो मुज़ाइक़ा नहीं। न इस को ह़ुक्म-उ़दूली (ना-फ़रमानी) कह सकते हैं और न इस से क़ुरबानी में नक़्स आने की कोई वजह। जबकि चालीस (40) दिन के अन्दर नाखुन तराशना, बग़लों और ज़ेरे नाफ़ के बाल साफ़ करना ज़रूरी है। चालीस (40) दिन से ज़्यादा ताख़ीर गुनाह है और मुस्तह़ब काम के लिये गुनाह नहीं कर सकते।